क्या मेरे मुंह का स्वास्थ्य मेरे सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा?

हां। ऐसे निष्कर्ष सामने आये हैं, जो कि उस चीज को बल प्रदान करते हैं जिसका दंत्य पेशेवरों को लंबे समय से संदेह रहा हैः मुंह में संक्रमण को शरीर के अन्य हिस्सों की समस्याओं से जोड़ा जा सकता है।

मेरा दंत स्वास्थ्य किन समस्याओं का कारण बन सकता है?

खराब दंत्य स्वास्थ्य के कारण जो समस्याएं उत्पन्न या बदतर हो सकती हैं, उनमें शामिल हैं:

  • हृदय रोग
  • आघात
  • मधुमेह
  • समय-पूर्व और कम वजन के बच्चे का जन्म
  • सांस संबंधी (फेफड़े की) बीमारी
  • मनोभ्रंश

ये संबंध किस प्रकार से काम करते हैं यह और अधिक अनुसंधान का विषय है।

फिर भी, हाल के बड़े पैमाने के अध्ययनों ने दर्शाया है कि मधुमेह, हृदवाहिनी की बीमारी या आघात से ग्रस्त रोगियों और गर्भवती स्त्रियों के लिए चिकित्सा खर्च उस दशा में काफी कम हो सकता है जबकि मसूड़े की उनकी बीमारी का उपचार पूरी तरह से कराया जाये। यह इस बात को सुनिश्चित करने का एक और कारण है कि आप घर पर अपने दांतों और मसूड़ों की हमेशा देखभाल करें और दंत चिकित्सकों की टीम के पास नियमित रूप से जाएं।

मेरे मुंह का स्वास्थ्य कैसे मेरे हृदय को प्रभावित कर सकता है?

मसूड़े की बीमारी से ग्रस्त लोगों में कोरोनरी धमनी (हृदय) रोग होने के आसार उन लोगों के मुकाबले कमोबेश दोगुने होते हैं, जिनमें मसूड़े की बीमारी नहीं होती है। जब लोगों को मसूड़े की बीमारी होती है तो यह माना जाता है कि मुंह के कीटाणु उनके रक्तप्रवाह में जा सकते हैं। जीवाणु प्रोटीन उत्पन्न करते हैं। इसके बाद यह रक्त में प्लेटलेटों को हृदय की रक्त वाहिकाओं में एक साथ चिपकने देने का कारण बनकर हृदय को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण थक्कों के बनने के आसार अधिक हो सकते हैं। रक्त के थक्के रक्त के सामान्य प्रवाह को कम कर सकते हैं, इसलिए हृदय को वे समस्त पोषक तत्व और ऑक्सीजन नहीं प्राप्त होती जिनकी उसे जरूरत होती है।

रक्त का प्रवाह अगर बुरी तरह से प्रभावित होता है तो इससे दिल के दौरे हो सकते हैं।

मसूड़े की बीमारी और आघातों के बीच क्या संबंध होता है?

अनेक अध्ययनों में मुंह के संक्रमणों और आघातों के बीच संबंध पर विचार किया गया है। उनमें पता चला है कि जिन्हें आघात हो चुका होता है उनमें मसूड़े की बीमारी होने के आसार उन लोगों के मुकाबले अधिक होते हैं, जिन्हें आघात नहीं लगा होता है।श्चित करने का एक और कारण है कि आप घर पर अपने दांतों और मसूड़ों की हमेशा देखभाल करें और दंत चिकित्सकों की टीम के पास नियमित रूप से जाएं।

मधुमेह किस प्रकार से मेरे मुंह के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है?

मधुमेह से ग्रस्त लोगों में उन लोगों के मुकाबले मसूड़े की बीमारी होने के आसार अधिक होते हैं, जिन्हें मधुमेह नहीं होता है। इसका कारण संभवतः यह है कि मधुमेह के रोगियों में आमतौर पर संक्रमण होने के आसार अधिक होते हैं। उन लोगों को जिन्हें यह पता नहीं होता है कि उन्हें मधुमेह है या जिनका मधुमेह नियंत्रण में नहीं होता है, विशेष तौर पर जोखिम होता है।

अगर आपको मधुमेह है तो यह जरूरी है कि मसूड़े की किसी बीमारी का पता लगाया जाए, क्योंकि यह आपके रक्त में शर्करा की मात्रा में वृद्धि कर सकती है। इससे आप मधुमेह की परेशानियों के जोखिम में पड़ जाएंगे।

इसके अलावा, अगर आपको मधुमेह है तो आप पाएंगे कि आप बहुत धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं। अगर आपके मसूड़ों में परेशीनी है या अपने दंत चिकित्सक के पास जाने के बाद समस्याएं उत्पन्न होती हैं तो कोई उपचार करवाने से पहले अपनी दंत टीम के साथ इसकी चर्चा करें।

नये अनुसंधान से यह भी पता चला है कि अगर आपको मसूड़े की बीमारी होती है तो आप में मधुमेह होने के आसार अधिक होते हैं।

अगर आपको मधुमेह है तो दांतों को गंवा बैठने का जोखिम आपके लिए बढ़ जाता है।

क्या मसूड़े की बीमारी मेरे अजन्मे बच्चे को प्रभावित करती है?

मसूड़े की बीमारी से ग्रस्त गर्भवती स्त्रियों में ऐसे बच्चे का जन्म होने के आसार तीन गुना अधिक हो सकते हैं, जो कि समय से पहले पैदा हुआ हो और इस तरह से जन्म के समय उसका वजन कम हो। चार में से एक मामले में ऐसा हो सकता है कि मसूड़े की बीमारी से ग्रस्त स्त्री 35 हफ्तों से पहले बच्चे को जन्म दे।

समझा जाता है कि मसूड़े की बीमारी उन रसायनों के स्तर को बढ़ा सकती है जिनके कारण प्रसव होता है। अनुसंधान इस बात की ओर भी इंगित करते हैं कि ऐसी स्त्रियों में जिनकी मसूड़े की बीमारी गर्भावस्था के दौरान बदतर हो जाती है, उनमें समय से पहले बच्चा होने का जोखिम और भी अधिक होता है।

गर्भावस्था के दौरान मसूड़े की बीमारी का समुचित तरीके से इलाज करवाने से समय-पूर्व जन्म के जोखिम में कमी आ सकती है।

मेरे मुंह के जीवाणु किस प्रकार से मेरे फेफड़ों को प्रभावित करेंगे?

समझा जाता है कि छाती का जीवाण्विक संक्रमण गले और मुंह से महीन छोटी बूंदों के सांस के जरिये फेफड़ों में लेने के कारण उत्पन्न होता है। इसके कारण निमोनिया की तरह के संक्रमण हो सकते हैं या मौजूदा अवस्था बदतर हो सकती है। मसूड़े की बीमारी वाले लोगों के मुंह में अधिक जीवाणु होते हैं, और इस कारण से उनकी छाती में संक्रमण होने के आसार अधिक होते हैं। यह विशेष रूप से कमजोर, बूढ़े लोगों को प्रभावित करता है जो कि अपने मुंह से जीवाणु को सांस में लेने के द्वारा उत्पन्न निमोनिया से मर सकते हैं। इस समूह के लोगों के लिए मुँह की अच्छी सफाई विशेष रूप से जरूरी है।

मुझे किन लक्षणों से सावधान रहना चाहिए?

अगर आपके अंदर मसूड़े की बीमारी के कोई भी लक्षण हैं तो अपनी दंत टीम के पास जाएं, लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • मसूड़ों की जलन और सूजन, जिसके कारण वे लाल, सूजे हुए हो सकते हैं और उनमें से आसानी से रक्तस्राव हो सकता है, विशेष रूप से ब्रश करते समय
  • मुंह में अरुचिकर स्वाद
  • बदबूदार सांसें
  • ढीले-ढाले दांत
  • मुंह के नियमित संक्रमण

क्या मुझे अपनी दंत टीम को अपने सामान्य स्वास्थ्य में किसी प्रकार के परिवर्तनों के बारे में बताना चाह

अपने सामान्य स्वास्थ्य में किन्हीं परिवर्तनों के बारे में अपनी दंत टीम को हमेशा बतायें। उस दशा में उन्हें बताना विशेष रूप से जरूरी है जबकि आप गर्भवती हों, या आपको हृदय रोग, मधुमेह, फेफड़े की बीमारी हो या कभी आघात लग चुका हो। इसके अलावा आपको अपने द्वारा ली जा रही किसी भी दवाई के बारे में बताना चाहिए क्योंकि ये आपके उपचार और आपके मुंह के स्वास्थ्य दोनों को ही प्रभावित कर सकती हैं।

क्या मसूड़े की बीमारी आनुवांशिक हो सकती है?

हालांकि इस बात के कुछ प्रमाण हैं कि मसूड़े की बीमारी आनुवांशिक होती है पर मुख्य कारण दांत की मैल है जो कि आपके दांतों की सतह पर निर्मित होती है। मसूड़े की बीमारी को रोकने के लिए आपको यह सुनिश्चित करने की जरूरत पड़ेगी कि आप हर दिन अपने दांतों से समूचे प्लैक (दांत की मैल) को ब्रश से साफ करके, अपने दांतों के बीच सफाई करके निकाल देते हैं।

मैं मसूड़े की अपनी बीमारी को बदतर होने से किस प्रकार बचा सकता हूँ?

अगर आपको मसूड़े की बीमारी है तो आपकी दंत टीम प्रायः किसी प्रकार की पपड़ी या तातार को निकालने के लिए आपके दांतों की संपूर्ण सफाई करेगी। इसमें दंत चिकित्सकों की टीम के साथ कई सत्र लग सकते हैं।

इसके अलावा वे आपको यह भी बताएंगे कि किस प्रकार से घर पर अपने दांतों की संपूर्ण सतहों को साफ करके स्वयं दांत की मुलायम मैल को निकालें। दांत की मैल जीवाणु की लसलसी परत होती है जो कि दांतों पर हर दिन निर्मित होती है (हमारी पुस्तिका ‘मसूड़े की बीमारी के बारे में मुझे बतायें' को देखें)।

मसूड़े की बीमारी कभी भी पूरी तरह से नहीं जाती। लेकिन जब तक आप स्वयं को सिखायी गयी घर पर देखभाल को जारी रखते हैं, तब तक आप उसकी प्रगति को धीमा रख सकते हैं या उसे बिल्कुल रोक सकते हैं। आपको अवश्य ही यह सुनिश्चित करना होगा कि आप हर दिन दांत की मैल को निकालते हैं और दंत चिकित्सकों की टीम से जांच करवाने के लिए, जितनी बार वे बुलाते हैं नियमित रूप से जाते हैं।

क्या व्यायाम करने से मसूड़े की बीमारी को रोकने में मदद मिलती है?

एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि जो लोग तन्दुरुस्त और स्वस्थ होते हैं, उनमें दांत को खतरे में डालने वाले मसूड़े के उन संक्रमणों के होने के आसार 40 प्रतिशत कम होते हैं, जो कि मसूड़े की बीमारी को जन्म दे सकते हैं। यह भी पाया गया है कि व्यायाम नहीं करने, शरीर के सामान्य वजन को नहीं बनाकर रखने और खानपान की अस्वास्थ्यकर आदतों के कारण व्यक्ति में मसूड़े की बीमारी बहुत अधिक बढ़ने के आसार होते हैं।

अगर आप अपने स्वास्थ्य -और अपने दांतों- को लेकर गंभीर हैं तो आपको व्यायाम करना होगा, स्वस्थ, संतुलित खुराक लेनी होगी और शरीर के वजन को सामान्य बनाये रखना होगा।

क्या धूम्रपान मेरे दांतों और मसूड़ों को प्रभावित करता है?

धूम्रपान करने से मसूड़े की बीमारी एकदम से बदतर हो सकती है। धूम्रपान करने वाले लोगों के दांत की जीवाण्विक मैल को उत्पन्न करने के ज्यादा आसार होते हैं, जो कि मसूड़े की बीमारी को जन्म देती है। मसूड़े प्रभावित होते हैं क्योंकि धूम्रपान का अर्थ यह है कि आपके रक्त-प्रवाह में ऑक्सीजन कम है, इस तरह से संक्रमित मसूड़ों का जख्म नहीं भरता। धूम्रपान करने से दांतों पर दाग-धब्बे भी पड़ सकते हैं, मसूड़े की बीमारी के कारण दांत उखड़ सकते हैं, सांसें बदबूदार हो सकती हैं और ज्यादा गंभीर मामलों में इससे मुंह का कैंसर हो सकता है।